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उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने किया ‘Cyber Safe Uttar Pradesh’ अभियान की शुरुआत
IIMT लैडर बिजनेस फाउंडेशन (IIMT-LBF) में गुरुवार (22 अगस्त)को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजिटल फोरेंसिक इंसिडेंट रिस्पॉन्स (CoE-DFIR) के उद्घाटन के साथ उत्तर प्रदेश में साइबर सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) के सहयोग से विकसित इस अत्याधुनिक सर्विस का उद्देश्य पूरे राज्य में डिजिटल फोरेंसिक विशेषज्ञता (digital forensics expertise) और साइबर सुरक्षा जागरूकता (cybersecurity awareness) की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करना है। CoE-DFIR डिजिटल फोरेंसिक एंड इंसिडेंट रिस्पॉन्स के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान (research), प्रशिक्षण (training) और प्रैक्टिकल एपलिकेशन (practical applications) का केंद्र बनने के लिए तैयार है, जो साइबर अपराध से निपटने के राज्य के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिभागियों के आगमन और रजिस्ट्रेशन के साथ हुई, जिसके बाद विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने प्रभावशाली भाषण दिए। कार्यक्रम में सीओई-डीएफआईआर (CoE-DFIR) का आधिकारिक उद्घाटन हुआ। इसके अलावा ‘साइबर सेफ उत्तर प्रदेश’ अभियान का शुभारंभ हुआ और प्रयोगशाला (Lab) का दौरा किया गया।
किसने क्या कहा
मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन राज्य मंत्री श्री दयाशंकर सिंह ने इस पहल को राज्य के हर कोने तक पहुंचाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस पहल को उत्तर प्रदेश के हर गांव तक पहुंचना चाहिए ताकि साइबर अपराध के बढ़त मामलों को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि साइबर सुरक्षा का लाभ सभी को मिले।”
पूर्व आईपीएस और एफसीआरएफ के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने ‘साइबर सेफ उत्तर प्रदेश’ अभियान शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका उद्देश्य साइबर खतरों के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करना है। यह पहल राज्य की डिजिटल सुरक्षा (Digital Defenses) को मजबूत करने के लिए एफसीआरएफ (FCRF) की उत्तर प्रदेश रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आईआईएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रबंध निदेशक डॉ. मयंक अग्रवाल ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अत्याधुनिक फॉरेंसिक (forensic,), अत्याधुनिक साइबर फॉरेंसिक लैब (Cyber Forensic Lab) और जांच तकनीकों के साथ लैस करने के लिए आईआईएमटी (IIMT) की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम पुलिस की सहायता करने और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए उन्नत साइबर फोरेंसिक और जांच तकनीक प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।”
पेटीएम के मुख्य व्यवसाय अधिकारी (Chief Business Officer ) अभय शर्मा ने एफसीआरएफ (FCRF) के प्रयासों, विशेष रूप से ‘साइबर सुरक्षित उत्तर प्रदेश’ अभियान के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया और डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित करने और उपयोगकर्ताओं को साइबर खतरों से बचाने के लिए पेटीएम की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
कार्यक्रम को इन लोगों ने भी किया संबोधित
श्री अभिषेक सिंह (आईएएस), अतिरिक्त सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई)
श्री बिनोद के. सिंह (आईपीएस), एडीजी/साइबर अपराध, उत्तर प्रदेश
एवीएम (डॉ.) देवेश वत्स (रिटायर), डीएससीआई में निदेशक
तुलिका पांडे, वैज्ञानिक जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई)
श्री सुबोध अकुलवार, साइनटिस्ट एफ, सीईआरटी-इन कर्णिका सेठ, अधिवक्ता, माननीय सर्वोच्च न्यायालय भारत
डॉ. के. के. पालीवाल, समूह निदेशक, आईआईएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज
मेहनाज़ परवीन, ट्रस्ट एंड सेफ्टी की उपाध्यक्ष, पेटीएम
अंकित गोयल, उपाध्यक्ष, पेटीएम
सर्टिफिकेट वितरण और इंटर्नशिप कार्यक्रम:
कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण सर्टिफिकेट वितरण समारोह था, जहां भारत के लगभग सभी राज्यों से 80 से अधिक प्रशिक्षुओं को DFIR प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन के लिए सम्मानित किया गया। उन्नत वर्कस्टेशन और अत्याधुनिक साइबर फोरेंसिक उपकरणों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ये प्रशिक्षु अब साइबर अपराध की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल से लैस हैं। यह कार्यक्रम कुशल पेशेवरों की एक मजबूत पाइपलाइन बनाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जो देश के साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे में योगदान दे सकते हैं।
लखनऊ में अभियान का अगला कार्यक्रम
कार्यक्रम में ‘साइबर सेफ उत्तर प्रदेश’ पहल में अगले माइलस्टोन की भी घोषणा की गई। अभियान का अगला कार्यक्रम 17 अक्टूबर को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में होने वाला है। यह कार्यक्रम लॉन्च से उत्पन्न मोमेंटम को बनाए रखेगा, जिसमें पूरे राज्य में अभियान की पहुंच और प्रभाव को और बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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