क्राइम
24 घंटे Digital Arrest कर रेलवे के रिटायर्ड GM से 52.50 लाख की साइबर ठगी
नोएडा में साइबर जालसाजों ने भारतीय रेलवे(Indian Railways) के रिटायर्ड GM को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख 50 हजार रुपये की साइबर ठगी को अंजाम दिया। जालसाजों ने ताइवान जा रहे पार्सल में ड्रग्स, माफिया डॉन दाउद इब्राहिम से संबंध और मनी लॉंड्रिंग केस (Money Laundering) में फंसाने की धमकी देकर ठगी को अंजाम दिया। 69 वर्षीय सेवानिृवत जीएम को जब साइबर ठगी होने का अहसास हुआ, तब इस मामले में पुलिस से शिकायत की। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
100 ग्राम Drugs और Money Laundering के नाम पर डराया
नोएडा के आम्रपाली सिलिकॉन सिटी सोसाइटी निवासी प्रमोद कुमार भारतीय रेलवे के Retired GM हैं। उनके पास नौ मई को एक रिकॉर्डेड मैसेज आया, जिसमें बताया कि आपको एक पार्सल भेजा गया है, वह डिलिवर नहीं हुआ है। इसकी अधिक जानकारी के लिए मोबाइल पर एक दबाने के लिए बोला गया। ऐसा करने पर कॉल एक अन्य शख्स को ट्रांसफर हो गई। उसने कहा कि प्रमोद की ओर से जो पार्सल भेजा गया है, उसे ताइवान कस्टम विभाग ने इसलिए सीज कर दिया है। उसमें कई आपत्तिजनक सामग्री है। इस पर प्रमेाद कुमार ने कहा कि उसने ताइवान के लिए कोई पार्सल भेजा ही नहीं है, तो जालसाजों ने उनसे आधार और मोबाइल नंबर पूछा और बताया कि इस पार्सल में आपके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया है।
पार्सल में सौ ग्राम ड्रग्स, चार किलो कपड़े, चार पासपोर्ट और तीन क्रेडिट कार्ड होने की जानकारी दी गई। इसके बाद मामले की कॉलर ने मुंबई क्राइम ब्रांच के कथित एक पुलिस अधिकारी के पास कॉल ट्रांसफर कर दी। उसने पीडि़त के मोबाइल पर Mumbai Police का एक आई कार्ड भेजकर खुदकर नरेश गुप्ता बनर्जी नामक क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया।
उसने प्रमोद से कहा कि उसके KYC की डिटेल विभिन्न शहरों के अलग-अलग बैंकों में खोले गए खाते में इस्तेमाल की गई है। इन खातों का सीधा लिंक Money Laundering केस से है। यह भी बताया गया कि पीडि़त के बैंक संबंधी डिटेल का प्रयोग जिस मनी लॉड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया है उसका संबंध दाउद और नवाज मलिक के गिरोह से है। बताया गया कि नवाज मलिक 18 माह से जेल में है। जालसाज ने कहा कि अगर उसने इस मामले में सहयोग नहीं किया तो वह बड़ी परेशानी में पडऩे वाले हैं। इसके बाद Video Call पर आने के लिए विवश करदिया गया। वीडियो कॉल में शिकायतकर्ता की फोटो तो साफ दिख रही थी पर दूसरी तरफ से सिर्फ Mumbai Police के क्राइम ब्रांच का लोगो दिख रहा था। इसके बाद जालसाज ने 24 घंटे तक Digital Arrest रखा और 52 लाख 50 हजार रुपये की साइबर ठगी कर ली।
24 घंटे रहे डिजिटल अरेस्ट, सोने भी नहीं दिया
जालसाजों ने रेलवे के रिटायर्ड जीएम को मुंबई पुलिस, CBI, मनी लॉंड्रिंग से लेकर तरह तरह के मामले बताकर डरा दिया और 24 घंटे तक Digital Arrest रखा। इस दौरान उन्हें सोने भी नहीं दिया गया और सगे संबंधियों से भी इन बातों का जिक्र नहीं करने के लिए कहा गया।
जालसाजों ने CBI के नाम का एक लेटर भेजा। इसमें लिखा गया है इस मामले में अब आपको जेल जाने से कोई रोक नहीं पाएगा। फिर आतंकी गतिविधियों और Money Laundering केस से बाहर निकालने में मदद करने की बात कहकर जालसाजों ने शिकायतकर्ता से बैंक अकाउंट और एफडी समेत अन्य जानकारी ले ली। इसके बाद पहली बार में 22 लाख 50 हजार, दूसरी बार में 26 लाख 50 हजार और तीसरी बार में तीन लाख 50 हजार रुपये की रकम ट्रांसफर कराई। जब और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब पीडि़त को ठगी की आशंका हुई।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस
दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है। उसे इतना डरा दिया जाता है कि उससे लाखों रुपये का ट्रांजैक्शन के लिए मजबूर होना पड़ता है।