क्राइम
CBI ऑफिसर बनकर डॉक्टर से 3.7 करोड़ रुपये की साइबर ठगी, मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखा जाल में फंसाया
बेंगलुरु के हावेरी जिले के रानेबेन्नूर में साइबर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। संजीवनी नर्सिंग होम के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. भीमसेन करजगी से सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) अधिकारी बनकर जालसाजों ने 3.7 करोड़ रुपये की ठगी की।
कई बैंकों में 10 अलग-अलग खातों में धनराशि ट्रांसफर करने वाले डॉ. करजगी को अपराधियों ने बताया कि वे मनी लॉन्ड्रिंग की चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें उनका नाम सामने आया है। यह मानते हुए कि इससे उनका नाम आरोपों से बरी हो जाएगा उन्होंने दो महीने की अवधि में उनकी मांगों का माना।
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जालसाजों ने खुद को उच्च पदस्थ सीबीआई अधिकारी बताते हुए डॉ. करजगी को यह विश्वास दिलाया कि उनके बैंक खाते की जांच चल रही है और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग जांच में फंसाया गया है। साइबर अपराध, आर्थिक अपराध, नारकोटिक्स (CEN) पुलिस स्टेशन के सर्कल पुलिस निरीक्षक एसआर गणाचारी के अनुसार डॉ. करजगी पर जालसाजों ने दबाव डाला और आपराधिक कार्रवाई की धमकी दी। इससे उन्हें राशि ट्रांसफर करने के लिए तैयार हुए।
11 अप्रैल 2024 को डॉ. करजगी को एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को मुंबई में सीबीआई के एक इंस्पेक्टर दीक्षित गदाद के बताया। उसने डॉ. करजगी को झूठी जानकारी दी कि नरेश गोयल के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए मामला दर्ज किया गया है। जालसाज ने आरोप लगाया कि गोयल ने डॉ. करजगी के केनरा बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर किए और फिर उसे विड्रॉ कर लिया,और सभी बैंक लेनदेन के सत्यापन की मांग की।
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इसके बाद, डॉ. करजगी ने पिछले महीने 17 मई तक रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) के माध्यम से दस अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए। द डेली से बात करते हुए गनाचारी ने बताया कि कुल 3.7 करोड़ रुपये धोखेबाजों के खातों में ट्रांसफर किए गए थे। जांच जारी है, और मामले को संभालने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता है। चल रही जांच का उद्देश्य धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाना और दोषियों को पकड़ना है। पुलिस ने जनता से सतर्क रहने और भविष्य में इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए किसी भी संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है।