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साइबर जागरुकता दिवस : IIMT और Future Crime Research Foundation ने आयोजित किया Webinar, साइबर अपराध की ट्रिक और बचाव के बताये तरीके

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साइबर जागरुकता दिवस : IIMT और Future Crime Research Foundation ने आयोजित किया Webinar, साइबर अपराध की ट्रिक और बचाव के बताये तरीके

देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हाल ही में गृहमंत्रालय की ओर से महीने के पहले बुधवार को साइबर जागरुकता दिवस मानने अपील की गई थी। इसी को देखते हुए आईआईएमटी (IIMT) ग्रुप ऑफ कॉलेज और फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (Future Crime Research Foundation) ने साइबर सुरक्षा और तरीकों से छात्रों को जागरुक करने के लिए ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया। 

दो घंटे के इस वेबिनार में एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह लेकर साइबर एक्सपर्टस मौजूद रहें। उन्होंने साइबर अपराधियों द्वारा साइबर क्राइम के लिए आए दिन अपनाये जा रहे नये नये तरीकों और उनकी रोकथाम के विषय में जानकारी दी।

जानें क्या है साइबर जागरुकता दिवस

साइबर जागरुकता दिवस सरकार द्वारा I4C योजना के तहत साइबर सुरक्षा, तरीके और उसकी रोकथाम के लिए जागरुकता अभियान शुरू किया गया है। यह सार्वजनिक स्थान जैसे- सरकारी ऑफिस, कॉरपोरेट्स, कॉलेज और स्कूलों के बीच साइबर सुरक्षा जागरूकता में सुधार के लिए शुरू किया गया एक सरकारी प्रयास है।

 इस पहल का उद्देश्य साइबर स्वच्छता के बुनियादी प्रोटोकॉल पर विशेष जोर देकर साइबर सुरक्षा जागरूकता पैदा करना है।

 गृह मंत्रालय ने कार्यशालाओं, संवादात्मक सत्रों और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से साइबर अपराध और इसके विभिन्न रूपों के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए हर महीने के पहले बुधवार को “साइबर जागरुकता दिवस” ​​मनाने की अपील की है।

आईआईएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रबंध निदेशक की शुरुआत

Dr Mayank-Agarwal, MD, IIMT group of Colleges

आईआईएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रबंध निदेशक डॉ मंयक अग्रवाल ने कहा कि साइबर अपराध और उसके नये नये तरीकों से जागरुकता के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ डिजिटलाइजेशन को सरकार तेजी से बढ़ावा दे रही है। वहीं तमाम छात्र, युवा से लेकर अच्छे पढ़े लिखे लोग साइबर की बारीकियों से अनजान हैं। यही वजह है कि साइबर अपराधी पढ़ें लिखे लोगों को आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। हर दूसरा व्यक्ति साइबर क्राइम का शिकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इससे बचने के लिए अपनी पहचान और व्यक्तिगत संवेदनशील जानकारी से लेकर छोटी से छोटी चीजों को लेकर सजंग रहने की जरूरत है।

WATCH FULL WEBINAR: Cyber Awareness : Cyber Crime Trends and Emerging Threats

पिछले 3 साल में साइबर क्राइम के 3 लाख से ज्यादा केस आये सामने

साइबर अपराध रुझान और खतरों को लेकर वेबिनार में शिरकत करने वाले एसपी साइबर अपराध प्रो त्रिवेणी सिंह ने बताया कि “हमें पिछले तील सालों में साइबर अपराध के 3 लाख से ज्यादा मामले मिले हैं। वहीं कोविड महामारी के बाद साइबर क्राइम में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

साइबर अपराध के तरीकों के बारे में बताते हुए प्रो सिंह ने कहा कि ये अपराध हैकिंग पासवर्ड या सोशल मीडिया अपराध की तरह बुनियादी हो सकते हैं, लेकिन इनका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। ये आपके पासवर्ड को क्रेक कर आसानी से आपकी मेहनत की कमाई को उड़ा सकते हैं। ये हमले दिन प्रतिदिन और बढ़ते जा रहे हैं। हैकर्स के पहले निशाने पर कॉरपोरेट्स, सरकार, महत्वपूर्ण इंफ्राटक्चर कंपनियां और शिक्षा संस्थान हैं।

सामने रहे कई केसों पर की चर्चा

Prof. Triveni Singh, Superintendent of Police, Cyber Crime, Uttar Pradesh
Prof. Triveni Singh, SP, Cyber Crime, Uttar Pradesh

डॉ त्रिवेणी ने कहा कि साइबर अपराधी आप को झांसे में लेने के लिए आप के जान पहचान वालों की आवाज या उनका नाम लेकर भी फ्रॉड कर कर सकते है। इसके अलावा भी  सोशल मीडिया पर दोस्त बनना और जबरन वसूली के लिए नग्न वीडियो कॉल करना सबसे बड़े खतरों में से एक है। इस तरह साइबर अपराधी न केवल रुपयों की ठगी करते हैं बल्कि ब्लैकमेल कर कई मामलों में लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर चुके हैं। मॉर्फ वीडियो और इमेज बनाने के लिए थ्रेट एक्टर्स फ्री एआई टूल्स और डीप फेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हें आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है, लेकिन अगर आप जागरूक हैं तो इन अपराधियों को हराया जा सकता है।

 उन्होंने समझाया कि जैसे- जामताड़ा देश में साइबर अपराध के नये केंद्र के रूप में उभरा था। उसी तरह भरतपुर-मेवात क्षेत्र अब इन साइबर अपराधियों का नया ट्रेनिंग सेंटर और क्राइम करने का अड्डा बनता जा रहा है।

पहचान छिपाने के लिए कर रहे प्रॉक्सी और वीपीएन का इस्तेमाल

डॉ त्रिवेणी ने बताया कि हैकर्स अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन या प्रॉक्सी आईपी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी के चलते कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उन्हें ट्रैक करना बड़ी चुनौती बन जाता है। उन्होंने समझाया कि डार्कवेब एक पूरी तरह से अलग दुनिया है। यह धोखाधड़ी आपूर्ति श्रृंखला के लिए एक भूमिगत दुनिया है क्योंकि यह लीक हुए क्रेडिट और डेबिट कार्ड डंप से भरा है।

 निवारक उपायों के बारे में बताते हुए प्रो त्रिवेणी सिंह ने कहा कि कभी भी ओटीपी या व्यक्तिगत विवरण किसी के साथ भूलकर भी साझा न करें। सभी प्रोफाइल के टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को सुरक्षित रखें। यदि आप साइबर अपराध के शिकार हो गए हैं तो तुरंत 1093 पर रिपोर्ट करें या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।

आपकी जानकारी देने में मदद कर सकते हैं कई टूल जानें

रूट 64 इंफोसेक फाउंडेशन के चीफ साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने साइबर अपराध को जांच ने और पहले से ही अलर्ट होने के कई तरीके बताये। उन्होंने बताया कि “अपराधी नवप्रवर्तक होते हैं, इसलिए अपराधों को सुलझाने के दौरान हमें उनसे सीखना चाहिए। किसी भी अपराध के तौर-तरीकों को समझने के लिए जांचकर्ताओं को दो महत्वपूर्ण मुद्दे कैसे और क्यों हल करने चाहिए। “

उन्होंने कई वेबसाइटों का लाइव डेमो दिखाया जो जानकारी दिलाने में मदद कर सकते हैं। इन्हीं में एक वेबसाइट – Privacy.net/analyser है। जो आईपी एड्रेस, लोकेशन, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, डिवाइस डिटेल्स, ब्राउजर डिटेल्स और बैटरी स्टेटस जैसे कई विवरण दिखा सकती है। ये विवरण अपराधियों को आपका विश्वास हासिल करने और आप पर और हमला करने में मदद कर सकते हैं।

Amit Dubey
Cyber Crime Expert, Amit Dubey

साइबर क्रिमिनल्स की तरह सोचे और अलर्ट रहे

अमित दुबे ने कहा कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए हमें साइबर अपराधियों की तरह सोचना होगा। वे आपके मनोविज्ञान के साथ खेलते हैं। वह आप से किसी न किसी बहाने से एक लिंक पर क्लिक करते हैं या फिर ऐप डाउनलोड कराते हैं या फिर क्यूआर कोड स्कैन कराते हैं। ऐसा होते ही आपकी पूरी जानकारी इनके पास तक पहुंच जाती है। ऐसे में खुद को साइबर क्राइम से सुरक्षित रखने के लिए केवल एक ही तरीका है। वो इस तरह के किसी भी झांसे में न आना। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर किसी जानकारी के सोर्स को अच्छे से चेक कर लें। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए किसी भी संस्थान, कंपनी या ई कॉमर्स साइटसे एक दम मिलती जुलती वेबसाइट, फर्जी हेल्पलाइन बना लेते हैं। जिसके बाद आप बिना देखें उस पर पहुंच जाते हैं और उनका आसानी से शिकार बन जाते हैं। इसलिए किसी भी सेल या अन्य दिनों में ऑनलाइन खरीदारी करते समय, सहायता मांगते समय या भुगतान करते समय उस डोमेन या सोर्स अच्छे से जांच कर लें। इसी के बाद पेमेंट करें।

ये वेबसाइट्स दे सकती हैं आपको जानकारी

दुबे ने बताया कि socialblade.com आपको किसी भी असली या फर्जी वेबसाइट, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी दे सकता है।

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