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क्राइम

साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ रियल टाइम में होगा एक्शन, लोकसभा चुनाव के बाद लॉन्च होगा नया सेंटर

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साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे से रियल टाइम में निपटने के लिए गृह मंत्रालय एक समर्पित केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहा है। साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) नामक यह नई विंग लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के तहत स्थापित की जाएगी। वर्तमान में बैंक, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर, आईटी कंपनियां, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने में शामिल विभिन्न हितधारक अलग-अलग कार्यालयों से काम करते हैं।

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इससे जानकारी साझा करने में देरी होती है और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने और की जांच करने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ” सीएफएमसी का लक्ष्य इन सभी हितधारकों को एक छत के नीचे लाकर इस मुद्दे का समाधान करना है। प्रमुख बैंकों के लगभग दो दर्जन प्रतिनिधि, पांच दूरसंचार सेवा प्रदाता, कानून प्रवर्तन अधिकारी और आईटी और सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि सीएफएमसी में तैनात होंगे।” इससे रियल टाइम में समन्वय में मदद मिलेगी। साइबर वित्तीय अपराधों के खिलाफ तुरंत कदम उठाए जाएंगे।

अधिकारी ने विभिन्न संगठनों के बीच निर्बाध सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया, “सीएफएमसी प्रक्रिया में देरी को दूर करते हुए, सभी को एक साथ लाकर इस आवश्यकता को पूरा करेगी।” इससे साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। अनुमान से पता चला है कि सीएफएमसी के चालू होने के बाद एजेंसियां संभावित रूप से चुराए गए धन का लगभग 11% अधिक वसूल कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त, पीड़ितों को अपने चुराए गए धन की तेजी से वापसी हो सकती है।

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सीएफएमसी साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों का एक विस्तार है। I4C पहले से ही राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के हिस्से के रूप में सिटीजन फाइनेंसियल साइबरफ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) विकसित कर रहा है। यह प्रणाली नागरिकों को सीधे ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने की अनुमति देती है।

इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों और वित्तीय संस्थानों को त्वरित कार्रवाई करने और संभावित रूप से चुराए गए धन के ट्रांसफर को रोकने में मदद मिलती है। सीएफएमसी की स्थापना साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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