क्राइम
साइबर अपराधियों पर लगेगी लगाम, चंडीगढ़ में बनने जा रहा पहला साइबर सुरक्षा केंद्र
देश में साइबर ठगी (Cyber Fraud) के मामले काफी बढ़ रहे हैं। आए दिन कोई ना कोई साइबर ठगी का शिकार हो रहा है। ऐसे में साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए सरकार चंडीगढ़ सेक्टर-18 में जल्द ही देश का पहला साइबर ऑपरेशंस एंड सिक्योरिटी (Cyber Operations & Security) बनकर तैयार होगा। इससे अपराधियों को पकड़ना काफी आसान हो जाएगा। साथ ही हैकर्स प्रशासनिक कार्यालयों के कंप्यूटर सिस्टम (Computer System) को भी हैक नहीं कर पाएंगे।
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Rs 88 करोड़ की लागत से बन रहा साइबर ऑपरेशंस एंड सिक्योरिटी सेंटर
इस पर चंडीगढ़ के SP Ketan Bansal ने कहा कि इस सेंटर को पुलिस द्वारा चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सेंटर को दो दिशा से बनाने की कोशिश की जा रही है। यह चंडीगढ़ के लिए काफी बड़ी उपलब्धि है। शुरू में डिफेंस रिसर्च एवं डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) सेंटर को चलाएगा और पुलिस के जवानों को इसके लिए प्रशिक्षण देगा। इसके बाद इसे पुलिस विभाग के हवाले कर दिया जाएगा।
हैकिंग होने पर जल्द जारी करेगा अलर्ट
बता दें कि इस सेंटर में एक ट्रेनिंग लैब का भी इंतजाम किया गया है। यह सेंटर हैकर्स से निपटने में काफी मदद करेगा। इस सेंटर से चंडीगढ़ प्रशासन के विभिन्न विभागों से जुड़ी जानकारी को भी जोड़ा जाएगा। जिससे विभागों के कंप्यूटर आदि को हैक होने से रोका जा सकेगा। इतना ही नहीं कंप्यूटर को एक ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) से भी जोड़ा जाएगा जो कि हैकिंग (Hacking) की स्थिति में अलर्ट (Alert) जारी करेगा।
गृह मंत्रालय ने जारी की राशि
सेंटर का निर्माण पूरे 88 करोड़ रुपये से होगा। इसके लिए गृह मंत्रालय द्वारा बजट में से 22.35 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। यह रकम अब DRDO को भेजी जा चुकी है। अब प्रशासक बीएल पुरोहित की मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू कर दिया गया है।
सोशल मीडिया सेल
सेंटर के अंदर एक सोशल मीडिया सेल का निर्माण भी किया जाएगा। इसकी मदद से किसी भी प्रकार की अफवाह या जानकारी पर शुरू से नजर रखी जा सकेगी और इसे पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 112 (Police Helpline no. 112) के साथ जोड़ा जाएगा। ताकि पुलिस तुरंत एक्शन ले सके। इतना ही नहीं यह सेंटर प्रिडिक्टिव पुलिसिंग (predictive policing) पर भी काम करेगा। इससे मदद से रैली, धरना आदि पर नजर रखी जाएगी, जहां अपराध या हिंसा होने की आशंका हो। ऐसे में पुलिस फुर्ती से प्रतिक्रिया कर पाएगी। इसके जरिए पुलिस को पहले ही यह बता दिया जाएगा कि किस जगह उन्हें गश्त करनी है ताकि अपराध को रोका जा सके।
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DRDO के In-House Software लगेंगे
पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि यह सेंटर जिस जगह बनाया जाएगा, वहां निर्माण कार्य की ज्यादा संभावना नहीं है। ज्यादातर खर्च सिर्फ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (Software and Hardware) पर ही आएगा। यहां डीआरडीओ के इन-हाउस सॉफ्टवेयर ही लगाए जाएंगे। अगले छह महीने के अंदर यह सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। सेंटर में चेहरा पहचान प्रणाली (face recognition system) पर भी काम किया जाएगा। शहर में लगाए गए हाई-रेजोल्यूशन कैमरों से संदिग्ध और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का डाटा जोड़ा जाएगा। ऐसे में किसी भी संदिग्ध की अगर कोई जानकारी सामने आती है तो अलर्ट जारी हो जाएगा ताकि पुलिस उसे तुरंत पकड़ सके।
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