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क्राइम

जयपुर पुलिस की वेबसाइट हैक करने वाला जालसाज गिरफ्तार, पुलिस के नाम मेल भेज कर निकलवाता था CDR

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जयपुर पुलिस की वेबसाइट(Website) को हैक करने वाले एक साइबर क्रिमिनल को अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी दसवीं पास है। इसने जयपुर पुलिस की वेबसाइट को हैक कर जयपुर पुलिस के नाम से बैंकों को मेल भेजकर लोगों के विवादित बैंक खातों को फ्रीज करवा देता था। वहीं पुलिस के नाम से टेलीकॉम कंपनियों को मेल भेजकर CDR निकलवाता था। इस सीडीआर को ये जासूसी कंपनियों को देकर मोटी रकम लेता था।

जानिए कैसे कर रहा था Cyber Fraud
राजस्थान के साइबर क्राइम सेल के पास छह मार्च 24 को एक शिकायत आई कि ICICI Bank के खाते को राजस्थान पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट से मेल भेजकर फ्रीज कर दिया गया है। जांच में पता चला कि इस ईमेल आईडी में ढेर सारे जंक मेल, स्पैम मेल और डिलीट किये गये मेल हैं।
ऐसे कई ईमेल पाए गए, जिनमें किसी अज्ञात व्यक्ति ने अनधिकृत तरीके से उक्त ई-मेल आईडी तक पहुंच बनाई और बैंक खातों के धारकों के बारे में निजी जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, बैंक खातों के लेनदेन विवरण और उनके आईपी लॉग लिए।
इसके बाद बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए राजस्थान पुलिस के नाम से विभिन्न बैंकों को ई-मेल भेजे। उसने मेल भेजकर जासूसी कंपनियों के लिए लोगों के मोबाइल की सीडीआर निकलवाई। जांच में ये भी पता लगा कि आरोपी ने सीडीआर के लिए एक विशेष Software खरीदा। उसने 15 दिन पहले भी एक व्यक्ति की CDR निकलवाई थी। इसके अलावा, उसने सीडीआर विश्लेषण सॉफ्टवेयर, बैंकों में काम करने वाले कर्मियों और अन्य संवेदनशील जानकारी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए वेबसाइट तक अनधिकृत पहुंच का उपयोग किया। पता लगा कि ईमेल आईडी राजस्थान पुलिस क्राइम ब्रांच की है।

फिल्म अभिनेताओं की CDR निकाल चुका है आरोपी
पुलिस पूछताछ में पता चला कि गिरफ्तार साइबर क्रिमिनल काफी शातिर है और फिल्म अभिनेताओं, राजनेताओं आदि की अवैध रूप से सीडीआर निकालने के मामले में पहले भी दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद में गिरफ्तार किया जा चुका है।गाजियाबाद, यूपी निवासी आरोपी सौरभ साहू 10वीं कक्षा तक पढ़ा है। 2013 से 2015 तक, उसने अप्पिन इंडिया, पीतमपुरा में काम किया, जहां उसने कंप्यूटर प्रशिक्षण लिया। इसके बाद कंपनी के कुछ परिचितों से सीडीआर प्राप्त करने का तरीका सीखा।
आरोपी ने कुछ जासूसी एजेंसियों के साथ सांठगांठ की, जिन्होंने कथित तौर पर कॉल डेटा रिकॉर्ड (Call Data Record) और अन्य व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए वेबसाइटों को हैक करने, बैंक खातों को फ्रीज करने में उसकी मदद की। इसके एवज में ये ग्राहकों से 15 हजार से 20 हजार रुपये वसूलता था।

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