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क्राइम

Cyber Crime के बनें शिकार तो डायल करें 1930 & 155260

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mha

– होम मिनिस्ट्री की तरफ से जारी किया गया है नंबर

– वर्किंग डे में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक कर सकते हैं कॉल

– हर शहर में रोजाना 7-8 साइबर क्राइम केस हो रहे

– रोजाना 8-10 लाख की हो रही ठगी

साइबर क्राइम के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं। KYC या कस्टमर रिफिकेशन या य लकी ड्राॅ में ईनाम जीतने जैसे ऑफर देकर जालसाजी हो रही है। एक आंकड़े के मुताबिक, हर शहर में रोजाना 7-8 साइबर क्राइम (Cyber Crime) केस हो रहे हैं। रोजाना हर शहर से 8 -10 लाख रुपये की जालसाजी की जा रही है। इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा लोग जागरूक नहीं होने की वजह से साइबर क्राइम (Cyber Crime) के शिकार बन रहे हैं।

इन मामलों की जांच से पता चलता है कि जालसाजी के सबसे ज्यादा मामले पेटीएम (Paytm) व अन्य ई-वॉलेट (e-wallet KYC) वाले ऐप के केवाईसी के नाम पर जाालसाजी की गई है। इसके बाद एटीएम क्लोनिंग के जरिए ठगी हुई है।

ऐसे लें मदद

– 1930 & 155260 नंबर पर टोल फ्री कॉल करें : यह नंबर गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम की तरफ से जारी है जो हर राज्य में सक्रिय है।
– यह नंबर साइबर क्राइम के लिए वर्किंग डे में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक चालू है और आपको जानकारी दी जाती है।
– यूपी में यूपी कॉप ऐप को डाउनलोड कर ऑनलाइन साइबर क्राइम की रिपोर्ट भी दर्ज करा सकते हैं।

इस तरह से हो रही है ठगी

दिल्ली से सटे नोएडा में रहने वाले 75 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद के पेटीएम केवाईसी के नाम पर जालसाजो ने फोन बैंक खाता हैक कर साढ़े 7 लाख रुपये निकाल लिए थे। पीड़ित बुजुर्ग को दोपहर 12 बजे फोन कर केवाईसी करने के नाम पर एनी डेस्क ऐप और आधार कार्ड के आखिरी 4 डिजिट नंबर लेकर जालसाज ने उनके खाते को रिमोट पर ले लिया और जमा सभी पैसे निकाल लिए थे।

KYC व कैशबैक ( cash back) के नाम पर हो रही सबसे ज्यादा ठगी, रहें सावधान

इस समय देश मेें एक दर्जन से भी ज्यादा ई-वॉलेट वाले मोबाइल ऐप (mobile App) हैं। इनमें कैशबैक (cashback) व अन्य ऑफर के जरिए कस्टमर को जोड़ा जा रहा है। इनसे जुड़े कस्टमर की कुल संख्या 50 करोड़ से भी ज्यादा है। Paytm के अकेले 35 करोड़ से ज्यादा कस्टमर हैं। इसके अलावा Google-pay गूगल-पे, फोन-पे Phone-pay, मोबिक्विक, योनो एसबीआई, भीम ऐप Bhim App, अमेजन-पे Amazon pay, आईसीआईसीआई पॉकेट, एचडीएफसी पेजैप, और फ्रीचार्ज जैसे ऐप को भी लाखों संख्या में लोग प्रयोग कर रहे हैं।
मगर ग्राहकों के केवाईसी कराने के तरीके को लेकर किसी को भी जागरूक नहीं किया जा रहा है। ऐसे में ट्रांजैक्शन से लेकर केवाईसी के लिए भी कस्टमर गूगल पर सर्च करने या फिर अचानक जालसाज के फोन आने पर उस पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं। जिसके बाद ठगी का शिकार बन रहे हैं।

इन दो ऐप एनीडेस्क Anidesk और क्विक सपोर्ट Quick support को कभी नहीं करें डाउनलोड

साइबर क्रिमिनल सबसे ज्यादा केवाईसी व कैशबैक के नाम पर लोगों को शिकार बना रहे हैं। ये कहते हैं कि केवाईसी नहीं होने से वॉलेट बंद हो जाएगा। ऐसे में वेरिफिकेशन करते समय एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट ऐप को डाउनलोड कर सिर्फ 1 या 10 रुपए से अपने वॉलेट को रिचार्ज करें। ऐसा करते ही केवाईसी पूरा हो जाएगा। एक या दस रुपए की बात सुनकर ग्राहक झांसे में आ जाते हैं।

लेकिन मोबाइल ऐप की मदद से आपके बैंक खाते को रिमोट पर ले लेते हैं और फिर वेरिफिकेशन के लिए 9 डिजिट के कोड को बातों में उलझाकर मांग लेते हैं। इसी कोड के जरिए आपकी डिवाइस का पूरा एक्सेस हैकर के पास पहुंच जाता है। इसके बाद जैसे ही 1 या 10 रुपए का रिचार्ज करते हैं तो स्क्रीन मॉनिटरिंग करते हुए पासवर्ड जान लेते हैं और फिर जालसाज उस खाते से अपनी मर्जी से पैसे निकाल लेते हैं।

कस्टमर केयर के नाम से जालसाज अपना नंबर ट्वीट करके बना रहे शिकार

साइबर एक्सपर्ट किसलय चौधरी बताते हैं कि जालसाज Twitter, Flipkart, ट्विटर पर फ्लिपकार्ट, ओला, अमेजन, उबर, पेटीएम, गूगलपे, फोन-पे समेत कई ऐसी कंपनियों के नाम पर फर्जी अकाउंट बना लेते हैं और फिर रोजाना अपने मोबाइल नंबर को कस्टमर केयर नंबर बताकर ट्वीट करते रहते हैं। मोबाइल नंबरों के साथ इन कंपनियों के नाम व कस्टमर केयर को हैशटैग के साथ दिन भर में कई बार ट्वीट करते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति किसी तरह की मदद के लिए गूगल पर कस्टमर केयर सर्च करता है तो पहले पेज पर इनका नंबर मिल जाता है। अगर इन नंबर फोन कर दिया तो ये खुद को एग्जिक्यूटिव बताकर ठगी कर लेते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

– कंपनियों के अधिकृत वेबसाइट से ही कस्टमर केयर नंबर लेकर कॉल करें और कभी भी ओटीपी या कोड शेयर न करें।
– ट्विटर पर अगर किसी कंपनी का वेरिफाइड अकाउंट यानी नाम के साथ सही का टिक मार्क है तभी उसपर भरोसा करें
– फोन पर कोई भी शख्स कार्ड ब्लॉक होने या वेरिफिकेशन के नाम पर मैसेज भेज उसे फिर से किसी अन्य नंबर पर फारवर्ड करने को कहे तो अलर्ट रहें।

– जालसाज ओएलएक्स पर सामान खरीदने या बेचने के नाम पर यूपीआई के जरिए आपको रिक्वेस्ट मनी (Request money) करते हैं और आप इनके जाल में फंसकर ठगी के शिकार बन जाते हैं।